The best Side of treatment of piles in men
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अर्जुन की छाल का काढ़ा बवासीर में खून आने को रोकने के लिए प्रभावी है।
बवासीर दो प्रकार की होती हैं, जो ये हैंः-
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मदरलव ऑर्गेनिक रॉयड बाम: विशेष रूप से यह गर्भवती महिलाओं के लिए एक ऑइंटमेंट है।
इस घरेलू उपचार के लिए आपको चाहिए की कड़वी तोरई का रस निकालकर उसमे थोड़ी हल्दी और नीम का तेल मिलाकर लेप बना लीजिये और प्रतिदिन पाइल्स के मस्सों पर लगाइये ऐसा करने से पाइल्स के मस्से जड़से खतम हो जाते हैं।
गुदा के आस-पास कठोर गांठ जैसी महसूस होती है। इसमें दर्द रहता है, तथा खून भी आ सकता है।
आहार और जीवन शैली में संशोधन : बवासीर के रोगियों को प्रथम-पंक्ति उपचार के रूप में पर्याप्त तरल पदार्थ के साथ फाइबर सेवन में वृद्धि के साथ आहार संशोधन का पालन करने की सिफारिश की जानी चाहिए।
बादी बवासीर में पेट की समस्या अधिक रहती है। कब्ज एवं गैस की समस्या बनी ही रहती है। इसके मस्सों में रक्तस्राव नहीं होता। यह मस्से बाहर आसानी से देखे जा सकते हैं। इनमें बार-बार खुजली एवं जलन होती है। शुरुआती अवस्था में यह तकलीफ नहीं देते, लेकिन लगातार अस्वस्थ खान-पान और कब्ज रहने से यह फूल जाते हैं। इनमें खून जमा हो जाता more info है, और सूजन हो जाती है।
बवासीर के दौरान कौन-कौन से खाद्य पदार्थ खाने से बचना चाहिए?
नारियल की जटाओं को जलाकर राख या भस्म बना लें। इसे ताजे मट्ठे में मिलाकर सुबह खाली पेट नियमित रूप से पिएं।
अस्पताल में रहने और काम पर लौटने के समय को भी कम करता है। एक स्टेपलिंग उपकरण प्रक्षेपित आंतरिक बवासीर को आपके गुदा के अंदर वापस खींचता है।
जात्यादि तेल आयुर्वेद में बवासीर के लिए बहुत कारगर माना जाता है।
साफ-सफाई, सही पोषण और संयमित दिनचर्या से मस्सों को सुखाने में मदद मिलती है।
आहार में फाइबर, फल, और सलाद शामिल करें ताकि मल नरम रहे।